Friday, January 6, 2012

मुसीबत

हम, यानि हम इन्सान, अक्सर मुसीबतों से दूर रहना चाहते हैं।
आदतन हमारा मानना है की मुसीबत, मुसीबत है और उससे दूर रहना स्वाभाविक है ।
अब जरा हम अपने जीवन को फ्लैश बैक में देखें -
हमारे जीवन में हर तरह के अवसर आये - खुशियों के भी और दुखों के भी।
मगर किन अवसरों से हमने ज्यादा पाया -
आपको हैरत होगी दुःख यानि मुसीबत, मुसीबतों ने ही हमे ज्यादा दिया है।
हम आज जो भी हासिल कर पाए हैं वह उन्ही मुसीबतों की देन है।

सुनकर अजीब सा लगा होगा, स्वाभाविक भी है -
अगर ये वाकई में सच है, तो हम इन्सान मुसीबत से भागते और बचते क्यूँ हैं ?
जैसा की मैंने ऊपर कहा - आदतन!!!
किसी ने हमे ये सिखाया ही नहीं,
बताया भी नहीं,
कि हर मुसीबत से 'पहले' उसका निदान (solution) हमारे पास आ चुका होता है!!!!
विश्वास नहीं होता न?

इसका मतलब आपने जीवन का फ्लैश बैक ठीक से नहीं देखा है!
अपने जीवन की घटनाओं का शांत मन से दुबारा निरिक्षण कीजिये।
अगर निदान नहीं रहे होते तो आप आज भी उन मुसीबतों में उलझे होते,
हाँ या ना?
ये अलग बात है निदान थे मगर हमने उन्हें कुछ और ही समझा हुआ था।
उन्हें जरुर थोड़ा ढूँढना पड़ा और तब जाकर वो दिखे। ठीक ?

ये भी अलग बात है कि तब तक हुई परेशानी से हम बुरी तरह हिल गए
और उनकी याद ने हमारे जेहन (मन) पे गहरा असर किया
और हमारी आदत ही
मुसीबत से भागने की बन गयी है।

हमारे ज्ञानियों ने भी इसीलिए
हमेशा मुसीबत से भागने को नहीं,
जीतने को समझाया।
जीतना मतलब, निदान ढूँढना
और उनसे प्रभावित - परेशान नहीं होना....

नए साल की शुभकामनाओं के साथ
आप सब का -
मैं

4 comments:

  1. हमारे ज्ञानियों ने भी इसीलिए
    हमेशा मुसीबत से भागने को नहीं,
    जीतने को समझाया।

    ...कमाल की रचना...बधाई...

    नीरज

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  2. मुसीबतें सूर्योदय के पूर्व का अन्धेरा हैं .... डर लगता तो है , मन घबराता भी है , पर सूरज को उदित होने से कोई नहीं रोक सकता

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  3. nidaan dikhata to hai par musibat un par bedi bhi to daale rahti hai aur aksar samay hi hamari istithi ko musibat ke saamne kamjor kar deta hai...to sab samay ka khela hai.

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  4. नए साल की शुभकामनायें आप को भी

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