Monday, September 27, 2010

भ्रम

वो कहते हैं
क्या कमी है
क्या उदासी है

आपसे मिलकर
आपसे बातें कर
लगता तो नहीं
कोई उदासी है

और क्यूँ लगे भला
जब आप औरों से ज्यादा ही मुस्कुरातें हैं

लोगों को उदासी समझाने के लिए
आँखों में नमी लानी होगी
पर कहाँ से लाऊं यार

उम्र के साथ
सारे बह गए
या फिर सूख गए

अब तो चाहो भी तो
बहते नहीं
बल्कि हंसी आ जाती है
जब रोने को दिल करता है

मन हंस के पूछता है
क्या अब भी कोई भ्रम बचा था