वो कहते हैं
क्या कमी है
क्या उदासी है
आपसे मिलकर
आपसे बातें कर
लगता तो नहीं
कोई उदासी है
और क्यूँ लगे भला
जब आप औरों से ज्यादा ही मुस्कुरातें हैं
लोगों को उदासी समझाने के लिए
आँखों में नमी लानी होगी
पर कहाँ से लाऊं यार
उम्र के साथ
सारे बह गए
या फिर सूख गए
अब तो चाहो भी तो
बहते नहीं
बल्कि हंसी आ जाती है
जब रोने को दिल करता है
मन हंस के पूछता है
क्या अब भी कोई भ्रम बचा था
Monday, September 27, 2010
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कहाँ होता है कोई भ्रम ?
ReplyDeleteटूटता जाता है जब आदमी
तो आँखों पर
भ्रम की परतें खुद चढ़ा लेता है
कभी ये रिश्ता कभी वो रिश्ता
टूटने की भी हद होती है
हद से जब गुजर जाते हैं हम
सच पर ठहाके लगाता भ्रम
आँखों से बहता है
कोई पास नहीं होता उस वक़्त
दर्द की सुनामी से अकेले गुजरना होता है
ज्वालामुखी पास फटता जाता है
चलने के लिए मुस्कुराना ही होता है
पर हर विवश मुस्कान से
भ्रम और सत्य का पर्दा हटाना होता है ....
लोगों को नहीं खुद को समझाने के लिए
फूट फूट के रोना होता है दोस्त !
वक्त के साथ आंसू भी सूख जाते हैं ....सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteलोगों को उदासी समझाने के लिए
ReplyDeleteआँखों में नमी लानी होगी
पर कहाँ से लाऊं यार
बहुत ही सार्थक कविता....एक समय के बाद,हंसी एक मजबूरी में शामिल हो जाती है...
"मन हंस के पूछता है
ReplyDeleteक्या अब भी कोई भ्रम बचा था"
अनुभव और यथार्थ के दो किनारों के संग आगे बढ़ती रचना .समय के साथ गुब्बारे भी अपना आकर्षण खो देते हैं. बड़े लोग तो बस बर्थडे पार्टियों में इसे दीवारों पर सजा पाते है,मन की चाहत से दूर.
:) dard ko samjhne ke liye bas ek hamdard chahiye hota hai, jo hansi kii parton men chupe dard ko bhi dhoondh leta hai :)
ReplyDeleteखुशी में भी,
ReplyDeleteगम में भी,
और
भ्रम में भी ...
यह आंसू बड़े अजीब है....
"मन हंस के पूछता है
ReplyDeleteक्या अब भी कोई भ्रम बचा था"
दिल को छू गयी पूरी कविता....सुन्दर अभिव्यक्ति
बधाई।
उम्र के साथ
ReplyDeleteसारे बह गए
या फिर सूख गए
बहुत खूब कहा है आपने सुमन जी। अपनी गज़ल की ये पंक्तियाँ याद आयीं-
इस तरह पानी हुआ कम दुनिया में, इन्सान में
दोपहर के बाद सूरज जिस तरह ढ़लता रहा
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत उम्दा!
ReplyDeleteदिल को छू गयी पूरी कविता...बधाई।
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
बहुत अच्छी रचना !!
ReplyDeleteसुन्दर कविता! अब तो चाहो भी तो
ReplyDeleteबहते नहीं.............
"अब तो चाहो भी तो
ReplyDeleteबहते नहीं
बल्कि हंसी आ जाती है"
अब तो चाहो भी तो
ReplyDeleteबहते नहीं
बल्कि हंसी आ जाती है
जब रोने को दिल करता है
मन हंस के पूछता है
क्या अब भी कोई भ्रम बचा था
Man ko bahut gahare tak chhoo gayi apki yah rachna.shubhkamnayen.
इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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