Monday, September 27, 2010

भ्रम

वो कहते हैं
क्या कमी है
क्या उदासी है

आपसे मिलकर
आपसे बातें कर
लगता तो नहीं
कोई उदासी है

और क्यूँ लगे भला
जब आप औरों से ज्यादा ही मुस्कुरातें हैं

लोगों को उदासी समझाने के लिए
आँखों में नमी लानी होगी
पर कहाँ से लाऊं यार

उम्र के साथ
सारे बह गए
या फिर सूख गए

अब तो चाहो भी तो
बहते नहीं
बल्कि हंसी आ जाती है
जब रोने को दिल करता है

मन हंस के पूछता है
क्या अब भी कोई भ्रम बचा था

16 comments:

  1. कहाँ होता है कोई भ्रम ?
    टूटता जाता है जब आदमी
    तो आँखों पर
    भ्रम की परतें खुद चढ़ा लेता है
    कभी ये रिश्ता कभी वो रिश्ता
    टूटने की भी हद होती है
    हद से जब गुजर जाते हैं हम
    सच पर ठहाके लगाता भ्रम
    आँखों से बहता है
    कोई पास नहीं होता उस वक़्त
    दर्द की सुनामी से अकेले गुजरना होता है
    ज्वालामुखी पास फटता जाता है
    चलने के लिए मुस्कुराना ही होता है
    पर हर विवश मुस्कान से
    भ्रम और सत्य का पर्दा हटाना होता है ....
    लोगों को नहीं खुद को समझाने के लिए
    फूट फूट के रोना होता है दोस्त !

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  2. वक्त के साथ आंसू भी सूख जाते हैं ....सुन्दर अभिव्यक्ति

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  3. लोगों को उदासी समझाने के लिए
    आँखों में नमी लानी होगी
    पर कहाँ से लाऊं यार
    बहुत ही सार्थक कविता....एक समय के बाद,हंसी एक मजबूरी में शामिल हो जाती है...

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  4. "मन हंस के पूछता है
    क्या अब भी कोई भ्रम बचा था"
    अनुभव और यथार्थ के दो किनारों के संग आगे बढ़ती रचना .समय के साथ गुब्बारे भी अपना आकर्षण खो देते हैं. बड़े लोग तो बस बर्थडे पार्टियों में इसे दीवारों पर सजा पाते है,मन की चाहत से दूर.

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  5. :) dard ko samjhne ke liye bas ek hamdard chahiye hota hai, jo hansi kii parton men chupe dard ko bhi dhoondh leta hai :)

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  6. खुशी में भी,
    गम में भी,
    और
    भ्रम में भी ...
    यह आंसू बड़े अजीब है....

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  7. "मन हंस के पूछता है
    क्या अब भी कोई भ्रम बचा था"
    दिल को छू गयी पूरी कविता....सुन्दर अभिव्यक्ति
    बधाई।

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  8. उम्र के साथ
    सारे बह गए
    या फिर सूख गए

    बहुत खूब कहा है आपने सुमन जी। अपनी गज़ल की ये पंक्तियाँ याद आयीं-

    इस तरह पानी हुआ कम दुनिया में, इन्सान में
    दोपहर के बाद सूरज जिस तरह ढ़लता रहा

    सादर
    श्यामल सुमन
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  9. दिल को छू गयी पूरी कविता...बधाई।

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  10. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  11. सुन्दर कविता! अब तो चाहो भी तो
    बहते नहीं.............

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  12. "अब तो चाहो भी तो
    बहते नहीं
    बल्कि हंसी आ जाती है"

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  13. अब तो चाहो भी तो
    बहते नहीं
    बल्कि हंसी आ जाती है
    जब रोने को दिल करता है

    मन हंस के पूछता है
    क्या अब भी कोई भ्रम बचा था
    Man ko bahut gahare tak chhoo gayi apki yah rachna.shubhkamnayen.

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  14. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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