Saturday, October 16, 2010

संबंधों से परे

खुद को झुठलाकर हमने

लोगों की सुनी,

पर लोग

फिर भी

कहते रहे,

कहते ही रहे ...

आखिर कब तक...

चलो अब तो हम

संबंधों से परे

अपने सम्बन्ध बना लें...

11 comments:

  1. जो संबंध अपने लिए ईश्वर ने बनाये हैं
    उसे असुरों की घात से परे करना
    हमें गलत बनाता है
    कोई तभी टक कहता है
    जब तक हम सुनते
    और डरते हैं
    .............
    वरना ईश्वर ने जो बनाया है
    उसे फिर क्या बनाना?????????
    उसे तो बस जीना है

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  2. चलो अब तो हम

    संबंधों से परे

    अपने सम्बन्ध बना लें... SUNDER ....BDHAI.

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  3. "चलो अब तो हम

    संबंधों से परे

    अपने सम्बन्ध बना लें... " sunder kavita !

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  4. Bahut sundar tarike se badi baat kah di..

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  5. कल 17/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  6. संबंधों से परे

    अपने सम्बन्ध बना लें..very nice,

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  7. बेहतरीन...
    बहुत अच्छा लिखा है..

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  8. चलो अब तो हम

    संबंधों से परे

    अपने सम्बन्ध बना लें
    सुन्दर पक्तियां

    वाह बहुत उम्दा सुन्दर प्रस्तुति आपकी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद शुभकामनायें

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  9. लोग तो कुछ न कुछ कहेंगे ..आदत होती है .. सुन्दर प्रस्तुति

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