जो संबंध अपने लिए ईश्वर ने बनाये हैंउसे असुरों की घात से परे करना हमें गलत बनाता हैकोई तभी टक कहता हैजब तक हम सुनतेऔर डरते हैं.............वरना ईश्वर ने जो बनाया हैउसे फिर क्या बनाना?????????उसे तो बस जीना है
चलो अब तो हमसंबंधों से परेअपने सम्बन्ध बना लें... SUNDER ....BDHAI.
"चलो अब तो हमसंबंधों से परेअपने सम्बन्ध बना लें... " sunder kavita !
Bahut sundar tarike se badi baat kah di..
bahut sundar rachna, shubhkaamnaayen.
कल 17/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
संबंधों से परेअपने सम्बन्ध बना लें..very nice,
Sunder. Khobsurat rachna
बेहतरीन...बहुत अच्छा लिखा है..
चलो अब तो हम संबंधों से परे अपने सम्बन्ध बना लेंसुन्दर पक्तियां वाह बहुत उम्दा सुन्दर प्रस्तुति आपकी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद शुभकामनायें
लोग तो कुछ न कुछ कहेंगे ..आदत होती है .. सुन्दर प्रस्तुति
जो संबंध अपने लिए ईश्वर ने बनाये हैं
ReplyDeleteउसे असुरों की घात से परे करना
हमें गलत बनाता है
कोई तभी टक कहता है
जब तक हम सुनते
और डरते हैं
.............
वरना ईश्वर ने जो बनाया है
उसे फिर क्या बनाना?????????
उसे तो बस जीना है
चलो अब तो हम
ReplyDeleteसंबंधों से परे
अपने सम्बन्ध बना लें... SUNDER ....BDHAI.
"चलो अब तो हम
ReplyDeleteसंबंधों से परे
अपने सम्बन्ध बना लें... " sunder kavita !
Bahut sundar tarike se badi baat kah di..
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ReplyDeleteकल 17/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
संबंधों से परे
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Sunder. Khobsurat rachna
ReplyDeleteबेहतरीन...
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चलो अब तो हम
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अपने सम्बन्ध बना लें
सुन्दर पक्तियां
वाह बहुत उम्दा सुन्दर प्रस्तुति आपकी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद शुभकामनायें
लोग तो कुछ न कुछ कहेंगे ..आदत होती है .. सुन्दर प्रस्तुति
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