Friday, December 30, 2011

तुम्हारे नाम

लोग हमारे रिश्ते को
एक नाम देकर
निश्चिन्त होना चाहते हैं

वो जानते हैं
रिश्तों के दायरे होते हैं
और दायरों में पड़ा इंसान

खतरनाक नहीं होता

उन्हें परेशानी है
तुम्हारी ललाट पे पड़े बेख़ौफ़ जुल्फों से
तुम्हारी शोख चाल से

उन्हें उलझन है
तुम्हारी धीमी मुस्कराहट से
जैसे तुम कुछ कह रही हो
कुछ अनकहा भी सुन रही हो

उन्हें परेशानी है
मेरे बेख़ौफ़ इरादों से

घंटों तुम्हारी तस्वीर पे नज़रें टिकाये रहने से ..

वो जानना चाहते हैं
हमारा रिश्ता....
चाहते हैं
एक नाम देकर निश्चिन्त हो जाना

उनसे कहो
पूछें जाकर
चकोर से,
समुद्र की लहरों से,
क्या है उनका रिश्ता

चाँद से....

मगर ये बेचारे भी क्या करें ?

कुछ रिश्ते
बस अनाम होते हैं
बस होते हैं
और इनके नाम नहीं होते ....


8 comments:

  1. कुछ रिश्ते
    बस अनाम होते हैं
    बस होते हैं
    और इनके नाम नहीं होते ....
    ........

    अनाम से यह रिश्‍ते

    सम्‍मान भी बन जाते हैं कभी-कभी

    हर शब्‍द गहनता लिए हुए ,नि:शब्‍द कर दिया आपने ... भावनाओं की अनुपम भेंट ... आभार सहित शुभकामनाएं ।

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  2. कई रिश्तों के नाम नहीं होते
    न ही उनमें वह होता है- जो लोग सोचते हैं
    कुछ रिश्ते बस 'त्रिवेणी ' होते हैं
    ..........

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  3. कुछ रिश्ते किसी भी तयशुदा नाम से बहुत ऊपर होते हैं !

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  4. रिश्तों को दायरों का नाम दे समेट देने की प्रथा पुरानी है, हम फिर भी उनमें नया अर्थ तलाशते रहते हैं।

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  5. बहुत खूबसूरती से रिश्ते को परिभाषित किया है ..नववर्ष की शुभकामनायें

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  6. शानदार..जानदार..बहुत सुन्दर

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  7. बेहतरीन अभिवयक्ति.....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.....

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  8. अति सुन्दर प्रस्तुति.
    नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,सुमन जी.

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