मैं हूँ,
हूँ
बस हूँ
खुशबू हूँ,
अगर तुमने प्यार से महसूस किया,
हवा का एक झोंका,
अगर पकड़ने की कोशिश की....
अपनी पहचान खुद ही बनाता हूँ,
और फिर अपने ही हाथों उसे मिटा भी देता हूँ
क्या करोगे मुझे जान कर
क्या करोगे मुझसे कोई वायदा लेकर....
कौन जान पाया
किसीको यहाँ
ना मैं कुछ जानना चाहता हूँ
नाही कुछ .................
एक धुएं की तरह हूँ
आज हूँ
बस आज
और कल
नहीं भी हूँ....
Tuesday, December 20, 2011
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अपने होने का स्थिर भाव स्थायित्व का प्रमाण है, यह सदा बना रहे।
ReplyDeleteकौन जान पाया
ReplyDeleteकिसीको यहाँ
ना मैं कुछ जानना चाहता हूँ
नाही कुछ .................
बेहतरीन पंक्तियाँ हैं सर!
सादर
खूबसूरत बात ... वर्तमान को महत्त्व देती अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबिना वायदा भी वादा निभाने जैसा हूँ भी ...नहीं भी!
ReplyDeleteसब एक नाम हैं एक चेहरे के साथ , जो होते हैं उनके साथ , जो उनको सोचते हैं - वरना सब आज है , कल नहीं और जब तक है , तो बस है ...
ReplyDeleteखुद में एक प्रलाप है समंदर की तरह - और इस हाहाकार को वही समझता है, जो हाहाकार में होता है , अन्यथा शब्द हैं , नहीं भी हैं !
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 22 -12 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... क्या समझे ? नहीं समझे ? बुद्धू कहीं के ...!!
एक धुएं की तरह हूँ
ReplyDeleteआज हूँ
बस आज
और कल
नहीं भी हूँ....
गहरे उतरते शब्द ...
bahut hi sundar ...khud ke sawlo ka jabab khud hi dete huye ....mai hoon ..to hun jo mujhe mahsus kiya mai wahi hun ..usaka hi hun ...mai hun bs hun ..sayad yahi bhavarth hai aapka jo mai samjhi ...
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