लोग हमारे रिश्ते को
एक नाम देकर
निश्चिन्त होना चाहते हैं
वो जानते हैं
रिश्तों के दायरे होते हैं
और दायरों में पड़ा इंसान
खतरनाक नहीं होता
उन्हें परेशानी है
तुम्हारी ललाट पे पड़े बेख़ौफ़ जुल्फों से
तुम्हारी शोख चाल से
उन्हें उलझन है
तुम्हारी धीमी मुस्कराहट से
जैसे तुम कुछ कह रही हो
कुछ अनकहा भी सुन रही हो
उन्हें परेशानी है
मेरे बेख़ौफ़ इरादों से
घंटों तुम्हारी तस्वीर पे नज़रें टिकाये रहने से ..
वो जानना चाहते हैं
हमारा रिश्ता....
चाहते हैं
एक नाम देकर निश्चिन्त हो जाना
उनसे कहो
पूछें जाकर
चकोर से,
समुद्र की लहरों से,
क्या है उनका रिश्ता
चाँद से....
मगर ये बेचारे भी क्या करें ?
कुछ रिश्ते
बस अनाम होते हैं
बस होते हैं
और इनके नाम नहीं होते ....
कुछ रिश्ते
ReplyDeleteबस अनाम होते हैं
बस होते हैं
और इनके नाम नहीं होते ....
........
अनाम से यह रिश्ते
सम्मान भी बन जाते हैं कभी-कभी
हर शब्द गहनता लिए हुए ,नि:शब्द कर दिया आपने ... भावनाओं की अनुपम भेंट ... आभार सहित शुभकामनाएं ।
कई रिश्तों के नाम नहीं होते
ReplyDeleteन ही उनमें वह होता है- जो लोग सोचते हैं
कुछ रिश्ते बस 'त्रिवेणी ' होते हैं
..........
कुछ रिश्ते किसी भी तयशुदा नाम से बहुत ऊपर होते हैं !
ReplyDeleteरिश्तों को दायरों का नाम दे समेट देने की प्रथा पुरानी है, हम फिर भी उनमें नया अर्थ तलाशते रहते हैं।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से रिश्ते को परिभाषित किया है ..नववर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteशानदार..जानदार..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबेहतरीन अभिवयक्ति.....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.....
ReplyDeleteअति सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteनववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,सुमन जी.