Friday, December 17, 2010

गुलमर्ग बनेगा



बीज अलग अलग होते हैं
बीज गुलाब के
बीज गेंहू के
बीज कैक्टस के ....

प्रभाव अलग अलग
गुलाब सौन्दर्य
गेंहू - आटे से रोटी
कैक्टस हर हाल में खड़ा
चुभता हुआ
....
सबके सब
गुलाब से उदासीन
कैक्टस उगाने लगे हैं
...वक़्त नहीं उनके पास
गुलाब की काट छांट के लिए
पानी, खाद के लिए
तो सहज हो गया है कैक्टस..
या फिर नकली फूल !

फिर भी मैं हर सुबह
एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
वक़्त लगेगा
पर गुलमर्ग बनेगा

22 comments:

  1. जिसके मन का विश्वास प्रबल हो , उसके साथ ईश्वर अपने ख़ास बीज देकर निश्चिन्त होता है

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  2. आपकी पोस्ट की चर्चा कल (18-12-2010 ) शनिवार के चर्चा मंच पर भी है ...अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव दे कर मार्गदर्शन करें ...आभार .

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  3. accha lagaa !
    maloom nahi tha aap bhi likhte hain :)

    - Kuhoo Gupta

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  4. wht a positive approach.
    .
    .

    फिर भी मैं हर सुबह
    एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
    वक़्त लगेगा

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  5. वक्त लगेगा पर गुलमर्ग जरूर खिलेगा........ आशा से ओत - प्रोत रचना लगी. परिवर्तन का बीज जरूरी है सबके मन में रहना, बाकी फिर अपने आप होता जायेगा, वक्त के साथ.

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  6. हर रोज आशान्वित हो यह बीज बोना कितनी संभावनाएं जगाता है!
    सुन्दर रचना!

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  7. बहुत सुन्दर ! परिवर्तन तो जीवन का नियम है और ये परिवर्तन सही दिशा में हो यही तो चाहिए ...

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  8. फिर भी मैं हर सुबह
    एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
    वक़्त लगेगा
    पर गुलमर्ग बनेगा
    आशा का सन्देश देती रचना। बधाई।

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  9. फिर भी मैं हर सुबह
    एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
    वक़्त लगेगा
    पर गुलमर्ग बनेगा ....

    हर शब्‍द एक नई आशा का संचार करता हुआ ....बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  10. परिवर्तन तो हो के रहेगा.आज नहीं तो कल लोग गुलाब और कैक्टस में फर्क को समझ ही लेंगे.
    एक अच्छी आशावादी कविता !

    सादर

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  11. ham bhi aapke saath ho lete hain gulmarg banane me..........:)
    sayad kuchh parivartan dikh jaye........hai na:)

    bahut sundar......shabd kam hain:)

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  12. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

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  13. फिर भी मैं हर सुबह
    एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
    वक़्त लगेगा
    पर गुलमर्ग बनेगा

    बहुत सुन्दर ..कैक्टस तो खुद ही बढ़ता जाता है ...गुलाब खिलाने में मेहनत लगती है ...

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  14. "वक़्त लगेगा
    पर गुलमर्ग बनेगा"
    उम्मीद जगाती बेहतरीन प्रस्तुति.आज ऐसी ही सोच की जरूरत है.पर कैक्टस भी जरूरी है जीवन की तल्ख़ सच्चाइयों से रूबरू होने के लिए.

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  15. फिर भी मैं हर सुबह
    एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
    वक़्त लगेगा
    पर गुलमर्ग बनेगा

    काश हर इंसान ऐसे सोच कर कुछ अच्छा बोये और काटे.

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  16. bahut hi sakaratmkata avam sundar soch ke saath bhaut hi achhi prastuti.

    फिर भी मैं हर सुबह
    एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
    वक़्त लगेगा
    poonam

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  17. रश्मि जी के माध्यम से आपको जाना.......बिल्कुल जी परिवर्तन के बीज बोते रहिये.....हम भी उम्मीद करते हैं.....जल्द ही कोपले फूटेंगी

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  18. फिर भी मैं हर सुबह
    एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
    वक़्त लगेगा

    क्या कहूं, बहुत ही अच्छी कविता....मन खुश हो गया पढ़कर...

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