बीज गुलाब के
बीज गेंहू के
बीज कैक्टस के ....
प्रभाव अलग अलग
गुलाब सौन्दर्य
गेंहू - आटे से रोटी
कैक्टस हर हाल में खड़ा
चुभता हुआ
....
सबके सब
गुलाब से उदासीन
कैक्टस उगाने लगे हैं
...वक़्त नहीं उनके पास
गुलाब की काट छांट के लिए
पानी, खाद के लिए
तो सहज हो गया है कैक्टस..
या फिर नकली फूल !
फिर भी मैं हर सुबह
एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
वक़्त लगेगा
पर गुलमर्ग बनेगा
जिसके मन का विश्वास प्रबल हो , उसके साथ ईश्वर अपने ख़ास बीज देकर निश्चिन्त होता है
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की चर्चा कल (18-12-2010 ) शनिवार के चर्चा मंच पर भी है ...अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव दे कर मार्गदर्शन करें ...आभार .
ReplyDeletehttp://charchamanch.uchcharan.com/
accha lagaa !
ReplyDeletemaloom nahi tha aap bhi likhte hain :)
- Kuhoo Gupta
wht a positive approach.
ReplyDelete.
.
फिर भी मैं हर सुबह
एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
वक़्त लगेगा
Very good thought !
ReplyDeleteवक्त लगेगा पर गुलमर्ग जरूर खिलेगा........ आशा से ओत - प्रोत रचना लगी. परिवर्तन का बीज जरूरी है सबके मन में रहना, बाकी फिर अपने आप होता जायेगा, वक्त के साथ.
ReplyDeleteहर रोज आशान्वित हो यह बीज बोना कितनी संभावनाएं जगाता है!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
बहुत सुन्दर ! परिवर्तन तो जीवन का नियम है और ये परिवर्तन सही दिशा में हो यही तो चाहिए ...
ReplyDeleteफिर भी मैं हर सुबह
ReplyDeleteएक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
वक़्त लगेगा
पर गुलमर्ग बनेगा
आशा का सन्देश देती रचना। बधाई।
फिर भी मैं हर सुबह
ReplyDeleteएक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
वक़्त लगेगा
पर गुलमर्ग बनेगा ....
हर शब्द एक नई आशा का संचार करता हुआ ....बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
परिवर्तन तो हो के रहेगा.आज नहीं तो कल लोग गुलाब और कैक्टस में फर्क को समझ ही लेंगे.
ReplyDeleteएक अच्छी आशावादी कविता !
सादर
bhut sundar....laajwaab........badhai ho
ReplyDeleteham bhi aapke saath ho lete hain gulmarg banane me..........:)
ReplyDeletesayad kuchh parivartan dikh jaye........hai na:)
bahut sundar......shabd kam hain:)
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
ReplyDeleteफिर भी मैं हर सुबह
ReplyDeleteएक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
वक़्त लगेगा
पर गुलमर्ग बनेगा
बहुत सुन्दर ..कैक्टस तो खुद ही बढ़ता जाता है ...गुलाब खिलाने में मेहनत लगती है ...
"वक़्त लगेगा
ReplyDeleteपर गुलमर्ग बनेगा"
उम्मीद जगाती बेहतरीन प्रस्तुति.आज ऐसी ही सोच की जरूरत है.पर कैक्टस भी जरूरी है जीवन की तल्ख़ सच्चाइयों से रूबरू होने के लिए.
फिर भी मैं हर सुबह
ReplyDeleteएक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
वक़्त लगेगा
पर गुलमर्ग बनेगा
काश हर इंसान ऐसे सोच कर कुछ अच्छा बोये और काटे.
bahut hi sakaratmkata avam sundar soch ke saath bhaut hi achhi prastuti.
ReplyDeleteफिर भी मैं हर सुबह
एक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
वक़्त लगेगा
poonam
रश्मि जी के माध्यम से आपको जाना.......बिल्कुल जी परिवर्तन के बीज बोते रहिये.....हम भी उम्मीद करते हैं.....जल्द ही कोपले फूटेंगी
ReplyDeleteफिर भी मैं हर सुबह
ReplyDeleteएक बीज परिवर्तन के बोता हूँ
वक़्त लगेगा
क्या कहूं, बहुत ही अच्छी कविता....मन खुश हो गया पढ़कर...
sahi kaha aapne
ReplyDeletenice
ReplyDelete