'ओहो,
इतना करने की क्या जरुरत थी,
आप भी न अंकल,
अच्छा तो नहीं न लगता माँ'.
मैं चुप,
क्या कहूँ,
की तुम्हारे मासूम चेहरों में मुझे
अपना बचपन दिखता है,
तुम्हारे प्यारे,
'अंकल अब जल्दी जल्दी आयेंगे न'
मुझे रात भर सोने नहीं देते.
ऐसे ही तो थे हम
नादान
नासमझ
सब अपने हैं
मान कर चलनेवाले
बिलकुल वैसे ही तो हैं ये सारे.
मेरा बस चले तो सारी दुनिया खरीद दूँ ,
मेरा बस चले तो पहरा लगा दूँ
जिससे कोई गरेरिया कभी फांस न पाए.
मांगता हूँ थोड़ा भ्रम इनके लिए
मांगता हूँ इनका विश्वास कभी न छूटे.
क्यूंकि
सचाई से अक्सर भ्रम टूटते हैं
रिश्तों में खींचातानी बढ़ते हैं
मेरा तेरा, ऐसा वैसा.
फिर रिश्तों में
रह ही क्या जाता है !
रह जाता है बस
एक अकेलापन
एक अंधी गली
और रौशनी की उम्मीद में ही जीवन निकल जाता है...
पूछते हो क्या पाया इनसे,
इनसे पाया मैंने,
अपना वो विश्वास फिर से
अपना वो भ्रम फिर से
अपनी वो बेखोफ हंसी फिर से
इनमें देखता हूँ वो सात रंग फिर से
जो कभी हमारे भी सपने थे.
आज,
इनसे मिलकर,
अपने जिन्दा
होने का एहसास
एक बार फिर हुआ है.
Sunday, August 8, 2010
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पूछते हो क्या पाया इनसे,
ReplyDeleteइनसे पाया मैंने,
अपना वो विश्वास फिर से
अपना वो भ्रम फिर से
अपनी वो बेखोफ हंसी फिर से
इनमें देखता हूँ वो सात रंग फिर से
जो कभी हमारे भी सपने थे.
आज,
इनसे मिलकर,
अपने जिन्दा
होने का एहसास
एक बार फिर हुआ है.
bahut hi sundar kavita
एक मासूम हँसी की चाह , एक मासूम सवाल को समर्पित नींद , ज़िन्दगी ऐसे एहसासों की मिठास में ही अर्थ पाती है ...
ReplyDeleteएहसास तो अच्छे लगे ....पर न जाने मुझे इस रचना में दो आयाम क्यों लग रहे हैं ....प्रारम्भ में कुछ और कह रही है नज़्म ....और बाद में कुछ और ....पर यह केवल मेरा नजरिया है ...हो सकता है कि मैं इसको अभि समझ नहीं पायी ठीक से ...फिर पढूंगी बाद में.. :):)
ReplyDeletesundar ehsaas!
ReplyDeletedil se badhayee.....
From Ehsaas!
जिन्दगी में पल पल हुए अहसासों का नाम ही तो जिन्दगी है. इन अहसासों से ही इंसां को इंसां बने रहने का जज्बा पैदा होता है.
ReplyDelete"इनसे मिलकर,
ReplyDeleteइनसे मिलकर,
अपने जिन्दा
होने का एहसास"
Behad kareeb se mahsoosi gayee baat.Yahi to insan ko insan aur jajbati banati hai,uski samvednaon ko jagati hai.Ati sunder ahsas.
achhi lagi rachna, shubhkaamnaayen.
ReplyDelete:) touchwood :)
ReplyDeleteख़ूबसूरत एहसास के साथ लिखी हुई लाजवाब रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteWaah...I crossed my finger...:)
ReplyDeleteकल 09/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
रह जाता है बस
ReplyDeleteएक अकेलापन
एक अंधी गली
और रौशनी की उम्मीद में ही जीवन निकल जाता है...खूबसूरत अहसास की माला में पिरोई सुंदर रचना |