Thursday, February 16, 2012

क्षमा करें




जिस डाल पे बैठे हैं हम, उसे ही जाने अनजाने काट  रहे?
विश्वास नहीं होता न?   

समाज के प्रति अपनी उदासीनता हमे छोड़नी ही पड़ेगी
वरना....
न जाने कल, आज के कितने मासूमों की हाथों में
बन्दूक होने की जिम्मेवारी हमारी होगी
क्षमा करें, 
यह किसी मायूस शायर की परिकल्पना नहीं....

   

4 comments:

  1. ---- २० रुपया हो या ५ रुपया , किसी को यूँ हीं देना मनुष्य को गवारा नहीं होता , होटल में वेटर कितना सजग था , और कितने लोग हमें देख रहे हैं की भावना मूल्याँकन करती है , वेटर का और अपने वजूद ! का .... यह एक अजीब सी संतुष्टि की मानसिकता है .

    --- ३ घंटे के मनोरंजन के लिए अक्सर इस तर्क को मान लेता है आदमी कि भगवान् तो हर जगह ,हर समय हमारे साथ है ...

    ----जिम अपने लिए होता है ... माँ - बाप का पैर दबाना उस संस्कार में आता है, जो बचपन से नींव की तरह डाला जाता है और इसके बाद कुछ जमजात संस्कार भी होते हैं ... कई लोग आज भी सेवा को अर्थ देते हैं और अच्छी बातें हमेशा कम होती हैं !

    --- वैलेंटाइन हो या मदर्स दे - बच्चे , युवा , बड़े ... सब याद रखते हैं . और अपनी व्यस्तता से समय निकाल इसे मनाते हैं . कितनी खूबसूरत बात है कि आज अपने माँ-बाप , भाई-बहन को भी हैप्पी वैलेंटाइन कहते हैं ... परिवर्तन में कितनी अच्छी बातें भी हैं ...

    --- एक रोटी अपने हिस्से से देना ज्यादातर कठिन रहा है, पर निगाह बारीक दर्द पर ही टिकती है तो चित्र की कीमत लग गई . और एक झूठे आंसू बहाने का जीते जी का हल ... जब कोई आए उसे दिखाना और क्या लगा , बताने में कुछ नहीं जाता .

    --- इस मैसेज को भी समूह में फौरवर्ड करते हैं लोग .... फौरवर्ड करके वे एक मेसेज देते हैं , सही लगता है तभी न . हंसने के लिए जोक भी ज़रूरी है .... निःसंदेह, कई बार टाइम पास भी होता है

    जिस डाल पर बैठे हैं , उसे काटना आरम्भ से है, पर इसी में पहल खुद करनी होती है , तभी कुछेक कदम साथ होते हैं !

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  2. sach kaha samaaj ke prati hamaari udaasinta ka hi parinaam hai ki desh ka nirantar hraas ho raha hai. haath mein hathiyaar yun hi shauk se koi nahi uthaata, bhayawahta badhti ja rahi, chetna to hoga hi.

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  3. Suman ji aapke vicharon bhaavon ko salaam bahut karara tamacha hai aaj ke samaaj par.

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  4. sahi or ishara kiya ....is tarah jagrookta zaroor lani chahiye ....

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