तेज आँधी में
खड़खड़ाते पत्ते
धूल का उठता बवंडर
आपे से बाहर होते
खिड़की दरवाज़े के पल्ले !
बन्द करता जाता हूँ दरवाज़े खिड़कियों को
ध्यान में डुबो देता हूँ खुद को ....
ध्यान से उठते पाता हूँ
आँधी बन्द दरवाज़े को पीट रही है
खड़खड़ाते पत्ते चौखट पर जमा हो रहे हैं
हल्की सुराखों से धूल कण कोने में पसर रहे हैं ...
एकबारगी एक हल्की स्मित चेहरे पर
शांत स्थिर फैल जाती है
सोचता हूँ ,
प्रकृति किस तरह प्रतीक बनती है
बिना कोई शब्द उचरे
कितना कुछ कह जाती है ...
मनुष्य हो या प्रकृति
जिसका जो स्वभाव है - वह बना रहता है
कुरेदने से न देवता असुर होते हैं
क्षमा कर देने से न असुर देवता
प्रकृति का संवाद शब्दों के परे होता है।
ReplyDeleteमनुष्य हो या प्रकृति
ReplyDeleteजिसका जो स्वभाव है - वह बना रहता है
कुरेदने से न देवता असुर होते हैं
क्षमा कर देने से न असुर देवता
गहनता लिये हर शब्द ...एक सच्ची बात कहता हुआ ...जिसमें कोई न आडम्बर है न आवरण ... ।
कुरेदने से न देवता असुर होते हैं
ReplyDeleteक्षमा कर देने से न असुर देवता
...बहुत सार्थक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर
वाह बहुत खूब कहा।
ReplyDeleteकुरेदने से न देवता असुर होते हैं
ReplyDeleteक्षमा कर देने से न असुर देवता
गहन भावों की अभिव्यक्ति बधाई ......
बढ़िया प्रकृति चित्रण !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
मनुष्य हो या प्रकृति
ReplyDeleteजिसका जो स्वभाव है - वह बना रहता है
कुरेदने से न देवता असुर होते हैं
क्षमा कर देने से न असुर देवता
सटीक लिखा है ..आदतें बदली नहीं जा सकतीं ....
कुरेदने से न देवता असुर होते हैं
ReplyDeleteक्षमा कर देने से न असुर देवता..
मनुष्य की जन्मजात प्रवृति बादल जाए , ऐसा कम ही होता है ...
सत्य वचन!
सार्थक और सत्य की अभिव्यक्ति ... स्वभाव बदल्ता नहीं है आसानी से ...
ReplyDeleteकल 23/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
"मनुष्य हो या प्रकृति
ReplyDeleteजिसका जो स्वभाव है - वह बना रहता है" बहुत सुन्दर रचना. आभार.
जिसका जो स्वभाव है - वह बना रहता है
ReplyDeleteकुरेदने से न देवता असुर होते हैं
क्षमा कर देने से न असुर देवता
bahut hi sundar..sach hai
बहुत सार्थक सोच और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर
ReplyDeletewaah... kitna sundar chitran kiya hai...
ReplyDeleteuttam soch...
bahut achcha likhe hain......
ReplyDeleteशायद आपकी बात सही है।
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