Tuesday, December 20, 2011

मैं कोई वायदा नहीं

मैं हूँ,
हूँ
बस हूँ

खुशबू हूँ,
अगर तुमने प्यार से महसूस किया,
हवा का एक झोंका,
अगर पकड़ने की कोशिश की....

अपनी पहचान खुद ही बनाता हूँ,
और फिर अपने ही हाथों उसे मिटा भी देता हूँ
क्या करोगे मुझे जान कर
क्या करोगे मुझसे कोई वायदा लेकर....

कौन जान पाया
किसीको यहाँ
ना मैं कुछ जानना चाहता हूँ
नाही कुछ .................

एक धुएं की तरह हूँ
आज हूँ
बस आज
और कल
नहीं भी हूँ....

8 comments:

  1. अपने होने का स्थिर भाव स्थायित्व का प्रमाण है, यह सदा बना रहे।

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  2. कौन जान पाया
    किसीको यहाँ
    ना मैं कुछ जानना चाहता हूँ
    नाही कुछ .................

    बेहतरीन पंक्तियाँ हैं सर!


    सादर

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  3. खूबसूरत बात ... वर्तमान को महत्त्व देती अच्छी प्रस्तुति

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  4. बिना वायदा भी वादा निभाने जैसा हूँ भी ...नहीं भी!

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  5. सब एक नाम हैं एक चेहरे के साथ , जो होते हैं उनके साथ , जो उनको सोचते हैं - वरना सब आज है , कल नहीं और जब तक है , तो बस है ...
    खुद में एक प्रलाप है समंदर की तरह - और इस हाहाकार को वही समझता है, जो हाहाकार में होता है , अन्यथा शब्द हैं , नहीं भी हैं !

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  6. एक धुएं की तरह हूँ
    आज हूँ
    बस आज
    और कल
    नहीं भी हूँ....
    गहरे उतरते शब्‍द ...

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  7. bahut hi sundar ...khud ke sawlo ka jabab khud hi dete huye ....mai hoon ..to hun jo mujhe mahsus kiya mai wahi hun ..usaka hi hun ...mai hun bs hun ..sayad yahi bhavarth hai aapka jo mai samjhi ...

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