Friday, December 30, 2011

तुम्हारे नाम

लोग हमारे रिश्ते को
एक नाम देकर
निश्चिन्त होना चाहते हैं

वो जानते हैं
रिश्तों के दायरे होते हैं
और दायरों में पड़ा इंसान

खतरनाक नहीं होता

उन्हें परेशानी है
तुम्हारी ललाट पे पड़े बेख़ौफ़ जुल्फों से
तुम्हारी शोख चाल से

उन्हें उलझन है
तुम्हारी धीमी मुस्कराहट से
जैसे तुम कुछ कह रही हो
कुछ अनकहा भी सुन रही हो

उन्हें परेशानी है
मेरे बेख़ौफ़ इरादों से

घंटों तुम्हारी तस्वीर पे नज़रें टिकाये रहने से ..

वो जानना चाहते हैं
हमारा रिश्ता....
चाहते हैं
एक नाम देकर निश्चिन्त हो जाना

उनसे कहो
पूछें जाकर
चकोर से,
समुद्र की लहरों से,
क्या है उनका रिश्ता

चाँद से....

मगर ये बेचारे भी क्या करें ?

कुछ रिश्ते
बस अनाम होते हैं
बस होते हैं
और इनके नाम नहीं होते ....


Tuesday, December 20, 2011

मैं कोई वायदा नहीं

मैं हूँ,
हूँ
बस हूँ

खुशबू हूँ,
अगर तुमने प्यार से महसूस किया,
हवा का एक झोंका,
अगर पकड़ने की कोशिश की....

अपनी पहचान खुद ही बनाता हूँ,
और फिर अपने ही हाथों उसे मिटा भी देता हूँ
क्या करोगे मुझे जान कर
क्या करोगे मुझसे कोई वायदा लेकर....

कौन जान पाया
किसीको यहाँ
ना मैं कुछ जानना चाहता हूँ
नाही कुछ .................

एक धुएं की तरह हूँ
आज हूँ
बस आज
और कल
नहीं भी हूँ....