Tuesday, September 25, 2012

एहसास

प्यार को प्यार ही रहने दो
बस - एक एहसास
नाम और रिश्तों से परे,
मुक्त....

दूर होकर भी दूर कहाॅ होता है
बाँध देने पर,
पास होकर भी
पास कहाॅ रहता है....

बधंन में कैसा एहसास....

तोते को पिंजरे में रख 
उड़ना सिखाने सी बात है....

बाॅधने की कोशीश ही
उसे मार देती है....


I love you


  • I LOVE YOU
    तीन शब्द, 
    कहते ही जैसे 
    सारी कायनात से जूझ लेने की ताकत आ जाती है....

    मन, 
    खुद को, 
    शीरी फरहाद 
    लैला मजनू सा सोच 
    रोमांचित हो उठता हैं....

    प्यार इतना आम होता  
    कहीं भी कभी भी किसी को 
    हो सकता 
    तो इसमें कुछ खास ही क्यूँ होता....

    प्यार की दुहाई देना और जीना दो बातें हैं....

    facebook twitter living relationship 
    के जमाने में
    I Love You में 
    'I' पहले you बाद में है,  

    Do You Love ME में
    'Me' बाद में जरूर है पर 
    जोर उसी पर है....

    वर्चस्व की स्पर्धा में 
    सम्मान त्याग क्षृद्धा 
  •   जिनके कारण प्यार प्यार होता था 
      कल की बातें हो कर रह गये हैं....















  • Monday, September 17, 2012

    अनकहा

    कुछ अनकहा रह ही जाता है

     शायद यह video ही आपसे कुछ कह जाये

    http://www.youtube.com/watch?v=ythuIXJ70j0&feature=youtube_gdata_player


    Friday, September 14, 2012

    Check out this video on YouTube:

    http://www.youtube.com/watch?v=saApSghVCOU&feature=youtube_gdata_player

    Sunday, March 11, 2012

    विडम्बना

    शब्दों के साथ
    हम कुछ ऐसे बड़े हुए
    कि शब्दों को बिना खाए - चबाये
    अब कुछ रास ही नहीं आता ....

    शब्दों को ना सुने
    ना सुनाये
    ना गुने,   
    तो जैसे सब ख़त्म होता जान पड़ता है....

    शब्दों का कोलाहल ही अब जीवन है
    शब्दों के साथ ही अब नींद आती है
    शब्दों से ही अब अपने जिन्दा होने का विश्वास बनता है....  

    शब्दों के घोंसले में ही अब सारे सम्बन्ध रहते हैं
    शब्दों से ही अब संबंधों की सार्थकता आंकी जाती है
    शब्दों से ही अब सुख - दुःख समझे जाते हैं....
    शब्दों में ही सारे मोल भाव
    शब्द न हुए
    currency हो गए....

    विडम्बना ही तो है
    कुछ महसूस भी करना हो
    तो अब शब्दों की ही जरुरत पड़ती है....

    शब्द चाहिए अब सांसों को सुनने - सुनाने के लिए
    शब्द चाहिए अब बोझिल पलकों को उठने - झुकाने के लिए
    शब्द चाहिए शब्द
    जिस्मों को अब एक हो जाने के लिए ....  

    शब्द शब्द शब्द ....

    जाने हम कहाँ खो गए
    शब्दों के इस जाल में....

    Sunday, March 4, 2012

    रहना और जीना


    'रहने' के लिए क्या चाहिए - पैसा !
    कर दे जो 'जरूरतें'
    रोटी कपड़ा मकान की पूरी - ....

    मिल जाये जिनसे -
    नाम, यश, ख्याति....
              

    मगर
    'जीने' के लिए ?

    इतने ही नहीं हैं काफी -
    क्या नहीं चाहोगे मिले
    आनंद सुख शांति ????

    सोचो बंधू सोचो
    कुछ और भूल तो नहीं रहे ?    
    ......
    ......
    ......
    ......
    ......
    ......
    ......

    वाह बंधू वाह
    प्यार को ही भूल गए !!!!


    'प्यार' बगैर 'जीना' कहाँ ?

    प्यार आवश्यकता नहीं
    'अस्तित्व' है हमारा .... 


    प्यार बिना सुख का करोगे क्या ?
    प्यार बिना शांति मिलेगी क्या ?
    प्यार बिना आनंद कैसा ?????  

    'रह' तो लोगे ही बंधू
    पर ....
    'जीओगे' कैसे ?
    ---------------------------------------------

    होली के शुभ अवसर पर
    बंधू ढ़ेर सारी शुभकामनाएं और
    बहुत सारा 'प्याररररररररर'.....


    .... कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा
    भानुमती का कुम्बा जोड़ा
    ओये जोगीरा सारा रा रा .....
    सारा रा रा
    सारा रा रा  
    रा  रा  रा  रा.....  
    बुरा ना मानो होली है
    होली है भाई
    होली है ......

    Tuesday, February 28, 2012

    सुख भूत में है या भविष्य में?
    हम सब कहेंगे - वर्तमान में !!!!
    तो हमें वर्तमान में रहने से कौन रोकता है ????????
    - हम !!!!!!!!

    Thursday, February 16, 2012

    क्षमा करें




    जिस डाल पे बैठे हैं हम, उसे ही जाने अनजाने काट  रहे?
    विश्वास नहीं होता न?   

    समाज के प्रति अपनी उदासीनता हमे छोड़नी ही पड़ेगी
    वरना....
    न जाने कल, आज के कितने मासूमों की हाथों में
    बन्दूक होने की जिम्मेवारी हमारी होगी
    क्षमा करें, 
    यह किसी मायूस शायर की परिकल्पना नहीं....