Sunday, November 20, 2011

चलेंगे नहीं तो पहुचेंगे कैसे




सबको कहीं पहुँचना है ….

कहाँ ?

- नहीं मालूम

मगर पहुँचना है ....


कहते हैं

जीवन चलने का नाम है

चलेंगे नहीं तो पहुंचेंगे कैसे …

क्यूंकि सब चल रहे हैं,

इसलिए सब चल रहे हैं....

इसीलिए मुझे भी चलना है,

- मैं भी चल रहा हूँ ....


अच्छा चलो,

पहुँच गए,

जानोगे कैसे

पहचानोगे कैसे

मालूम कैसे होगा ????


- अरे,

उससे फ़रक क्या पड़ता है ?????

किसी को मालूम है क्या????


पर पहुँचना कहाँ है ?????

- हद हो गयी

फिर वोही बात,

कहा न


चलेंगे नहीं तो पहुचेंगे कैसे

पहुँचना

ही है ....