वो कहते हैं
क्या कमी है
क्या उदासी है
आपसे मिलकर
आपसे बातें कर
लगता तो नहीं
कोई उदासी है
और क्यूँ लगे भला
जब आप औरों से ज्यादा ही मुस्कुरातें हैं
लोगों को उदासी समझाने के लिए
आँखों में नमी लानी होगी
पर कहाँ से लाऊं यार
उम्र के साथ
सारे बह गए
या फिर सूख गए
अब तो चाहो भी तो
बहते नहीं
बल्कि हंसी आ जाती है
जब रोने को दिल करता है
मन हंस के पूछता है
क्या अब भी कोई भ्रम बचा था
Monday, September 27, 2010
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